Brahma Kumaris Murli Hindi 15 August 2023

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Posted by: BK Prerana

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    Brahma Kumaris Murli Hindi 15 August 2023

    Brahma Kumaris Murli Hindi 15 August 2023

    Brahma Kumaris Murli Hindi 15 August 2023

    15-08-2023 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा"' मधुबन

    “मीठे बच्चे - बाप का बिन्दी स्वरूप है, उसे यथार्थ पहचानकर याद करो यही समझदारी है''

    प्रश्नः-

    बेहद की दृष्टि से स्वप्न का अर्थ क्या है? इस संसार को स्वप्नवत संसार क्यों कहा गया है?

    उत्तर:-

    स्वप्न अर्थात् जो बात बीत गई। तुम अभी जानते हो यह सारा संसार अभी स्वप्नवत् है अर्थात् सतयुग से लेकर कलियुग अन्त तक सब कुछ बीत चुका है तुम्हें अभी सेकेण्ड में इस स्वप्नवत् संसार की स्मृति आ गई। तुम सृष्टि के आदि, मध्य, अन्त, मूलवतन, सूक्ष्मवतन, स्थूलवतन को जानकर मास्टर भगवान् बन गये हो।

    गीत:-

    कौन आया मेरे मन के द्वारे........

    ओम् शान्ति। शिवबाबा अपने मीठे-मीठे बच्चों, सिकीलधे सालिग्रामों को बैठ समझाते हैं। सालिग्राम ही शिवबाबा के बच्चे ठहरे ना। बच्चे जानते हैं कि हमको वह पढ़ाते हैं, जिनको रिंचक भी कोई जानते नहीं हैं। शिव के मन्दिर में जाते हैं परन्तु वहाँ तो इतना बड़ा शिवलिंग देखते हैं। यह थोड़ेही समझते हैं कि हमारा बाबा बिन्दी है। जो बच्चे शिवबाबा को इतना बड़ा समझ याद करते हैं वा करते होंगे - वह भी भोले हैं क्योंकि वह भी रांग है। बाप समझाते हैं कि मैं बिन्दी हूँ, अब बिन्दी को कोई क्या समझ सके। भल कोई कहते हैं अखण्ड ज्योति स्वरूप है, फलाना है परन्तु नहीं, वह है बिन्दी। उनको याद करना बड़ा मुश्किल है। घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं। भक्ति मार्ग में आदत पड़ी हुई है शिवलिंग पर फूल चढ़ाने वा पूजा करने की तो वह याद रहता है। परन्तु यह घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं कि हमारा बाबा बिन्दी रूप है। सारे ड्रामा में उनका जो पार्ट है वह बजाते हैं। बिन्दी की बैठ महिमा करेंगे क्या कि सुख का सागर है, शान्ति का सागर है....। कितना छोटा बिन्दी रूप है।

    बच्चे पूछते हैं किसको ध्यान में रखें? इन बातों को तो समझदार ही समझ सकें। नहीं तो वही शिव का लिंग याद आ जाता है। श्रीकृष्ण तो अच्छी रीति बुद्धि में बैठ सकता है। यह तो है बिन्दी। गीत में भी कहते हैं कि याद करो तो याद न आये फिर वह सूरत कैसी है? यह भी वन्डरफुल है, इतनी छोटी बिन्दी है! ज्ञान का डांस करते हैं। कहा जाता है - यह स्वप्नों का संसार है। बीती हुई बात को स्वप्न कहा जाता है। स्वप्नवत् संसार, जो बीत गया है वह तुम्हारी बुद्धि में आता है। सारा ब्रह्माण्ड मूलवतन, सूक्ष्मवतन, सतयुग, त्रेता, द्वापर - सारा स्वप्न हो गया। जो पास्ट हो जाता है वह स्वप्न हो गया। अब कलियुग का भी अन्त है। यह स्वप्नवत् संसार हुआ ना। वह हद के स्वप्न आते हैं। तुमको बेहद का बुद्धि में आता है। सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी भी सब स्वप्न हो गया। इसको कहा जाता है स्वप्नों का संसार। इतना राज़ और कोई नहीं जानते सिवाए तुम बच्चों के। सतयुग में कितने अथाह सुख थे - वह सब पास्ट हो गये। अभी तुम बच्चों की बुद्धि में आदि, मध्य, अन्त का पूरा ज्ञान है। एक बाप की ही याद रहनी चाहिए। बाप जो समझाते हैं और कोई समझा न सके। तुम्हारी बुद्धि में स्वप्नों का संसार है। यह यह पास्ट हो गया - बुद्धि जानती है ना। तुमको ऊपर से लेकर सारी नॉलेज बुद्धि में हैं - आदि से अन्त तक की। तुम अब त्रिकालदर्शी-त्रिलोकीनाथ बन गये हो। त्रिलोकीनाथ बनने से तुम जैसे भगवान् हो जाते हो। भगवान् बैठ तुमको शिक्षा देते हैं। सेकेण्ड में स्वप्न आता है ना। तो सेकेण्ड में तुमको सारा याद आना चाहिए - बीज और झाड़। बाबा भी कहते हैं - आदि, मध्य, अन्त का मेरे पास ज्ञान है इसलिए ही मुझे ज्ञान का सागर, नॉलेजफुल, जानी-जाननहार कहते हैं। जानते हैं हरेक की अवस्था ऐसी ही रहेगी। एक-एक की अवस्था को हम क्या बैठ जानेंगे! जो अवस्था कल्प पहले थी, उस अवस्था में हैं। सो तो तुम भी जानते हो। पुरुषार्थ कराने के लिए कहते हैं - अच्छी रीति पुरुषार्थ करो।

    अभी तुमको स्वदर्शन चक्रधारी बनना है। तुम जानते हो यह-यह पास्ट हो गया है - ऐसे देवतायें राज्य करते थे फिर आकर राज्य करेंगे। पास्ट, प्रेजन्ट, फ्युचर यह याद करते रहेंगे। उनको ही स्वदर्शन चक्र कहा जाता है। शिवलिंग को याद करने में तो हिरे हुए हैं। तो समझते हैं कि बाबा ज्योर्तिलिंगम है। बिन्दी कहें तो मूँझ पड़े। वह समझते हैं आत्मा छोटी है, परमात्मा बड़ा है। अभी तुम बच्चे जानते हो - इस कलियुगी दुनिया में इस समय देखो भभका कितना है! इसको माया का भभका कहा जाता है। माया का पाम्प है। कहते हैं ना - अभी दुनिया कितनी अच्छी बन गई है। बड़े-बड़े महल बन गये हैं। अमेरिका का कितना भभका है! चीजें कितनी ऩफीस (आकर्षक)बनती हैं। हम समझते हैं कि यह तो मुलम्मे की चीजें हैं जो अभी खत्म हो जायेंगी। दिन-प्रतिदिन बड़ी-बड़ी इमारतें, डैम्स आदि ऐसे बनायेंगे, जैसे बिल्कुल नई दुनिया है। मायावी पुरुष हैं ना। आसुरी सम्प्रदाय का भभका है। यह सब है तिलस्म (जादू), अभी गया कि गया। बड़े-बड़े साइन्स घमन्डी जो हैं उन्हों की बुद्धि में है कि यह सब खत्म हो जायेंगे। एक-दो को कह देते हैं तुम इन्टरफियर न करो, नहीं तो सब ख़त्म हो जायेंगे। अमेरिका अपने को बलवान समझता है तो जरूर सेकेण्ड नम्बर में भी कोई होगा जो सामना करे। गाया हुआ है - दो बिल्ले लड़ते हैं। यादवों ने अपने कुल का विनाश किया, तो वह दो बिल्ले हुए ना। वही प्रैक्टिकल हो रहा है।

    तुम बच्चे जानते हो - आगे भी इस समय तुमने ही नॉलेज ली थी। अब भी ले रहे हो। बाप आकर सारी नॉलेज समझाते हैं। जैसे बाप की बुद्धि में है वैसे तुम बच्चों की बुद्धि में भी है। शिव कहा जाता है बिन्दी को। आत्मा में भी सारा पार्ट है। तुम्हारा है आलराउन्ड पार्ट, सतयुग से लेकर कलियुग तक। सतयुग-त्रेता में तुम जब सुख भोगते हो तो उस समय बाप का कोई पार्ट नहीं। बाप कहते हैं कि मेरे से भी तुम्हारा जास्ती पार्ट है। तुम सुख में रहते हो तो मैं निर्वाणधाम में हूँ। मेरा कोई पार्ट ही नहीं। तुमने आलराउन्ड पार्ट बजाया है तो थके भी तुम होंगे इसलिए लिखा हुआ है - चरण दबाये हैं। बाप कहते हैं - बच्चे, तुम थक गये होंगे। तुमने आधाकल्प भक्ति की, दर-दर धक्के खाये हैं। भक्ति मार्ग में भटकते-भटकते तुम थक जाते हो फिर बाप आकर उजूरा देते हैं, पुजारी से पूज्य बना देते हैं। तुम जानते हो हम सो पूज्य थे फिर पुजारी बने हैं। ऐसे नहीं कि परमात्मा आपे ही पूज्य, आपे ही पुजारी है। नहीं, हम ही बनते हैं।

    भारत ही अविनाशी खण्ड गाया जाता है। भारत है शिवबाबा की जन्मभूमि। जन्मभूमि पर ही मनुष्य कुर्बान होते हैं। कांग्रेसियों ने भी देखो, कितना माथा मारा जन्म भूमि के लिए। फॉरेनर्स को बाहर निकाल दिया। यह जन्म भूमि स्वर्ग थी। फिर 5 विकारों रूपी माया ने आकर हप किया है। हम रावण को बड़ा दुश्मन समझते हैं। यह कोई भी नहीं समझते कि बड़े ते बड़ा दुश्मन माया रावण है, जो हमारी राजाई खा गया है। यह जैसे कि गुप्त चूहे मुआफिक फूँक देता और काटता रहता है, जो किसको पता भी नहीं पड़ रहा है। काटते-काटते एकदम देवाला मार दिया है। किसको पता नहीं है, हमारा राज्य भाग्य छीन लिया है। कोई को पता नहीं है हमारा दुश्मन कौन है? हम कंगाल कैसे बने? माया बड़ा चूहा है - आधाकल्प खाते-खाते भारत को कौड़ी जैसा बना दिया है। बड़ा ही बलवान है। अभी फिर तुम चुपके से उस पर जीत पा रहे हो। तुम जानते हो कि हम कैसे गुप्त रीति राज्य ले लेते हैं। जैसे गुप्त रीति गँवाया है फिर लेते भी गुप्त रीति से हैं। कोई भी नहीं जानते - अभी फिर इस पर जीत पानी है। कितने महीन राज़ हैं! बाबा की मदद से हम फिर से राज्य-भाग्य लेते हैं। कोई हाथ-पांव नहीं चलाते हैं। गुप्त रीति से हम अपना बेहद के बाप से वर्सा लेते हैं, जो आधाकल्प रहेगा। वह चूहा माया तो आहिस्ते-आहिस्ते खाता है और तुम अभी राज्य एक ही बार ले लेते हो 21 जन्म के लिए। 84 जन्मों का राज़ भी तुमको समझाया गया है। इतने-इतने जन्म लिए हैं। तुम जानते हो सतयुग में हमारी आयु बहुत बड़ी थी। फिर अपवित्र भोगी बनते हैं तो द्वापर-कलियुग में 63 जन्म लेते हैं। यह बाबा बैठ समझाते हैं। कल्प-कल्प माया ऐसे राज्य लेती है फिर हम उनसे लेते हैं। गीत में गाते तो हैं - कौन देश से आया, कौन देश में है जाना....? परन्तु समझते नहीं हैं। तुम तो जानते हो आत्मा किस देश से आई है? क्यों आई है? सारा चक्र बुद्धि में है। सारे ड्रामा में हीरो-हीरोइन पार्ट है शिवबाबा का। शिवबाबा के साथ पार्टधारी कौन-कौन हैं? पहले-पहले जन्म देते हैं - ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को फिर तुम बच्चों को। तुम बाप के साथ मददगार ठहरे। बाप अपना पार्ट बजाकर अपने धाम चले जाते हैं और तुम मददगारों को भी साथ में मुक्तिधाम में ले जाते हैं। तुम मुक्तिधाम जाकर फिर जीवन्मुक्ति में चले जायेंगे। कितना अच्छी रीति बुद्धि में रखना चाहिए! तो यह है सपनों का संसार जो बीत गया।

    तुम जानते हो कि सतयुग-त्रेता में देवी-देवतायें रहते थे, अभी नहीं हैं। गीत का कितना गुह्य राज़ है - कैसे सपनों का संसार बुद्धि में लेकर बैठे हैं? सारा चक्र कैसे फिरता है? जो नॉलेज बाबा में है वह हमारे में भी है। बेहद के बाप में ही यह सारी बेहद की नॉलेज हैं। बच्चे जानते हैं - यह भी स्वप्न हो जायेगा। यह बड़ी समझने और समझाने की बातें हैं। सतयुग-त्रेता में यह बातें किसकी बुद्धि में होती नहीं। गुह्य प्वाइन्ट्स मिलती रहती हैं। बुद्धि में सारा चक्र रहना चाहिए। भक्ति मार्ग क्या है, कब से शुरू होता है, इससे कुछ भी फ़ायदा नहीं हुआ। भक्ति करते-करते नुकसान में ही आ गये हैं। अब फिर से तुम कौड़ी से हीरे जैसा बनते हो। माया कौड़ी मिसल बना देती है। बाबा ज्ञान डान्स सिखलाते हैं। फिर वहाँ जाकर तुम डान्स करेंगे। यह बातें बड़ी वन्डरफुल जानने लायक हैं। यहाँ की रस्म-रिवाज वहाँ बिल्कुल नहीं होती है। वह है ही वाइसलेस वर्ल्ड। वहाँ माया का नाम-निशान नहीं होता। पहले तुम बाबा को याद करो, वर्सा तो ले लो, बाकी वहाँ की रस्म-रिवाज जो होगी, वही चलेगी। वहाँ की रस्म-रिवाज सब नई होगी। वहाँ यह उत्सव आदि होंगे नहीं। यहाँ गमी (उदासी) रहती है, तब शादमाना (उत्साह दिलाने वाले उत्सव) मनाते हैं। वहाँ तो नित्य है ही शादमाना। रोने की दरकार नहीं रहती। उत्सव मनाने की बात नहीं रहती। सदैव हमारे बड़े दिन होंगे। वहाँ शादी भी धूमधाम से होती है, दहेज मिलता है, दास-दासियाँ मिलती हैं। बाकी त्योहार आदि की दरकार नहीं रहती। यह हैं ही संगम के त्योहार, जो भक्ति मार्ग में मनाये जाते हैं। वहाँ तो सदैव खुशियाँ ही खुशियाँ हैं। अच्छा!

    मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

    धारणा के लिए मुख्य सार:-

    1) स्वदर्शन चक्र फिराते माया पर गुप्त रीति विजय प्राप्त करनी है। बाप समान नॉलेजफुल होकर रहना है।

    2) बाप जो है, जैसा है, उसे यथार्थ बिन्दी रूप में जानकर याद करना है। बिन्दू बन, बिन्दू बाप की याद में रहना है। भोला नहीं बनना है।

    वरदान:-

    बाप के डायरेक्शन प्रमाण सेवा समझ हर कार्य करने वाले सदा अथक और बन्धनमुक्त भव

    प्रवृत्ति को सेवा समझकर सम्भालो, बंधन समझकर नहीं। बाप ने डायरेक्शन दिया है - योग से हिसाब-किताब चुक्तू करो। यह तो मालूम है कि वह बंधन है लेकिन घड़ी-घड़ी कहने वा सोचने से और भी कड़ा बंधन हो जाता है और अन्त घड़ी में अगर बंधन ही याद रहा तो गर्भजेल में जाना पड़ेगा इसलिए कभी भी अपने से तंग नहीं हो। फंसो भी नहीं और मजबूर भी न हो, खेल-खेल में हर कार्य करते चलो तो अथक भी रहेंगे और बंधन-मुक्त भी बनते जायेंगे।

    स्लोगन:-

    भ्रकुटी की कुटिया में बैठकर तपस्वीमूर्त होकर रहो - यही अन्तर्मुखता है।

    ***OM SHANTI***
    Brahma Kumaris Murli Hindi 15 August 2023

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