Brahma Kumaris Murli Hindi 1 August 2023

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Posted by: BK Prerana

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    Brahma Kumaris Murli Hindi 1 August 2023

    Brahma Kumaris Murli Hindi 1 August 2023

    Brahma Kumaris Murli Hindi 1 August 2023


    01-08-2023 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा"' मधुबन

    “ मीठे बच्चे - माया की पीड़ा से बचने के लिए बाप की शरण में आ जाओ , ईश्वर की शरण में आने से 21 जन्म के लिए माया के बंधन से छूट जायेंगे ''

    प्रश्नः-

    तुम बच्चे किस पुरुषार्थ से मन्दिर लायक पूज्यनीय बन जाते हो?

    उत्तर:-

    मन्दिर लायक पूज्यनीय बनने के लिए भूतों से बचने का पुरुषार्थ करो। कभी भी किसी भूत की प्रवेशता नहीं होनी चाहिए। जब किसी में भूत देखो, कोई क्रोध करता है या मोह के वश हो जाता है तो उससे किनारा कर लो। पवित्र रहने की स्वयं से प्रतिज्ञा करो। सच्ची-सच्ची राखी बांधो।

    गीत:-

    तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है.....

    ओम् शान्ति। 

    भक्त सदैव बुलाते हैं भगवान् को। भगवान् को परमपिता कहा जाता है। कहते हैं - हे पतित-पावन परमपिता परमात्मा, आकरके हम बच्चों को पतित से पावन बनाओ। तो जरूर सब पतित ठहरे क्योंकि रावण का राज्य है, पांच विकार सर्वव्यापी हैं। ऐसे नहीं कि सतयुग में भी 5 विकार सर्वव्यापक हैं। नहीं, उनको तो कहा जाता है सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया। यह है सम्पूर्ण विकारी दुनिया। भारत सम्पूर्ण निर्विकारी था - यह भूल गये हैं। मन्दिरों में जाकर देवताओं की उपमा भी करते हैं कि आप सर्वगुण सम्पन्न, सम्पूर्ण निर्विकारी हो। यहाँ सम्पूर्ण विकारी हैं, इसलिए बाप को बुलाते हैं। बाप आकर सम्पूर्ण विकारियों को शरण में लेते हैं। शरणागति होती है ना। अभी सब रिफ्युजी हैं तो पुकारते हैं। आत्मा पुकारती है बाप को - बाबा, हम आत्मायें बिल्कुल विकारी बन गई हैं, आप आकर निर्विकारी बनाओ। एक-दो को मारते रहते हैं, इसलिए इन्हों को डेविल भी कहा जाता है। भारत डीटी वर्ल्ड था - मनुष्य यह नहीं जानते। बरोबर भारत देवी-देवताओं की भूमि थी, वह राज्य करते थे। परन्तु आधाकल्प से माया ने धीरे-धीरे करके बिल्कुल ही पतित बना दिया है इसलिए कहते हैं अब हम पतितों को आकर शरण लो। अब तुमने आकर परमपिता परमात्मा की गोद ली है - भविष्य देवी-देवता बनने के लिए। यह है ईश्वरीय गॉड फादरली मिशन, पतित को पावन अथवा कांटों को फूल बनाने की मिशन है। बच्चों का धन्धा ही है परमपिता परमात्मा की मत पर कांटों को फूल बनाना, नर्कवासियों को स्वर्गवासी बनाना। तुम कहते हो ओ गॉड फादर, तो जरूर तुम उनको जानते हो ना। फिर ऐसे कह न सकें कि परमात्मा कहाँ है! अरे, आत्मा बोलती है ओ गाड फादर। आत्मायें पुकारती हैं परमात्मा को, वह इन आंखों से देखने में नहीं आता। आत्मा भी देखने में नहीं आती। यह तो समझ की बात है ना। आत्मा ज्योति स्वरूप है। परमपिता परमात्मा का भी वही रूप है। बाप कहते हैं तुम आत्मा एक चोला छोड़ दूसरा लेती हो। तुम आत्मा अविनाशी हो, शरीर विनाशी है। आत्मा शरीर छोड़ती है। कहेंगे हमारा बाप मर गया, परन्तु आत्मा मरती नहीं। आत्मा को बुलाते हैं। यह तुम अभी समझते हो। बाकी सारी दुनिया के मनुष्य मात्र बाप को बिल्कुल नहीं जानते हैं इसलिए आपस में कितना लड़ते-झगड़ते रहते हैं। अभी मूसलों से पता नहीं क्या करेंगे! इन्हों को कहा जाता है डेविल्स। बाबा कहते हैं मैं कोई ऐसी सृष्टि थोड़ेही रचता हूँ। बाबा तो स्वर्ग रचते हैं। स्वर्ग का मालिक बनाते हैं। तो जरूर बाप को आना पड़े ना। बाप कहते हैं - बच्चे, मैं आया हूँ, जो पतित-दु:खी हो गये हैं, उनको सदा सुखी बनाने। वहाँ कोई ऐसे नहीं कहेंगे - पतित-पावन आओ या ओ गॉड फादर रहम करो। ऐसे कभी बुलाते नहीं हैं क्योंकि हैं ही सुखी। दु:ख में सभी याद करते हैं। आत्मा ही याद करती है। शरीर के साथ सुख-दु:ख होता है। शरीर नहीं है तो आत्मा सुख-दु:ख से न्यारी है। बाप कहते हैं मैं इनमें प्रवेश कर इनका नाम ब्रह्मा रखता हूँ। कई तो अच्छी रीति समझ लेते हैं, कई नहीं समझते हैं, तो समझा जाता है - यह पावन दुनिया में चलने लायक नहीं हैं इसलिए श्रीमत पर नहीं चलते हैं। यह है ही आसुरी रावण सम्प्रदाय। रावण को हर वर्ष जलाते हैं ना। यह निशानी है। हर वर्ष राखी भी बंधवाते हैं क्योंकि पवित्र नहीं रहते। राखी बंधवाते हैं फिर अपवित्र बन पड़ते हैं इसलिए वर्ष-वर्ष राखी बंधवाते हैं। राखी है पवित्रता की निशानी। विकारियों को राखी भेज देते हैं कि प्रतिज्ञा करो हम पवित्र रहेंगे। पवित्र बनने से 21 जन्म राज्य-भाग्य पायेंगे।

    बाबा कहते हैं - मैं ही आकर तुम सबको पूज्य बनाता हूँ। अभी तुम पुजारी हो। देवताओं की, ठिक्कर-भित्तर की पूजा करते धक्के खाते रहते हो। मैं तुमको इन धक्कों से छुड़ाए पूज्य सो लक्ष्मी-नारायण बनाता हूँ। तुम यहाँ आये ही हो नर से नारायण बनने के लिए। आधाकल्प माया से पीड़ित हो अभी तुमने आकर शरण ली है परमपिता परमात्मा की। मम्मा ने भी ली है। इस बाबा ने भी शरण ली है शिवबाबा की। उनको तो अपना शरीर है नहीं। उनका नाम ही है शिव। शिवबाबा का नाम कभी बदलता नहीं है। मनुष्य आत्मा का नाम बदलता रहता है। 84 नाम मिलते हैं। इन बातों को मनुष्य नहीं जानते। 84 जन्म भी कहते हैं परन्तु 84 जन्म कौन लेते हैं, यह कोई नहीं जानते। भारतवासी, जो देवी-देवतायें थे, वही 84 जन्म लेते हैं। यह है बेहद का ड्रामा। इसे मनुष्य को ही तो जानना है। तुम जानते हो गॉड फादर स्वर्ग का रचयिता है तो जरूर स्वर्ग का वर्सा मिलना चाहिए। भारत स्वर्ग था। वह वर्सा फिर माया रावण ने छीन लिया। अब फिर माया पर जीत पानी है। माया जीते जगत जीत। रावण से हार खाई तो डेविल बने, अब डीटी (देवता) बनना है। कांटे को कली, कली को फिर फूल बनाना है। माया का तूफान आने से कलियां वा फूल झड़ जाते हैं। मात-पिता का बनकर फिर फ़ारकती दे देते हैं। यह समझने की बात है ना। अंगेअखरे (तिथि-तारीख सहित) प्रूफ देकर समझाया जाता है - यह मनुष्य सृष्टि का उल्टा झाड़ है, बीज ऊपर में है, तब तो ओ गॉड फादर कह याद करते हैं ना। यह नॉलेज बड़ी भारी है समझने की। तुम बच्चे समझते हो सब आत्माओं का जो बाप है उनको ही याद करते हैं। हम ब्रदर्स हैं। सबको बाप से वर्सा मिलना चाहिए। उनको ब्रदरहुड कहा जाता है। तुम हो भाई-भाई, वर्सा मिलना है बाप से। बाप सबको सुख, शान्ति का वर्सा देते हैं। बाप आकर टीचर रूप से पढ़ाते हैं फिर सतगुरू बन साथ ले जाते हैं। सत एक ही गॉड फादर को कहा जाता है। उनका यह है सतसंग। सत का संग तारे। अभी विनाश होना है। सबको शान्तिधाम, सुखधाम जाना है। कहते हैं नईया मेरी पार लगाओ, हम विषय सागर में डूबे हुए हैं। तो बाप को आना पड़े - शान्तिधाम सुखधाम ले जाने। आधाकल्प है सुखधाम, आधाकल्प है दु:खधाम। यह भारत बिल्कुल ही पतित, भोगी हो गया है। योगी नहीं कहेंगे। सतयुग-त्रेता को कहा जाता है योगेश्वर का राज्य। श्रीकृष्ण को योगेश्वर कहते हैं। ईश्वर के साथ योग लगाकर पद पाना है। सो तुम पा रहे हो। बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं। समझाने वाला है ज्ञान का सागर। मनुष्य ज्ञान सागर नहीं होता। यह (बाबा) अपने को ज्ञान सागर नहीं कहते। तुम अभी मास्टर ज्ञान सागर बन रहे हो। ज्ञान सागर से सारा ज्ञान हप कर लेते हो। जैसे टीचर द्वारा बैरिस्टरी का नॉलेज स्टूडेन्ट्स हप कर लेते हैं फिर बैरिस्टर बन जाते हैं। तुम सारे ज्ञान सागर को हप कर लेते हो। सारा ज्ञान आ जायेगा तब फिर तुम प्रालब्ध पा लेंगे। बाप निर्वाणधाम चले जायेंगे। तुम बच्चे नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार वर्सा ले लेते हो। इस नॉलेज से तुम सो देवी-देवता सदा सुखी बन जाते हो। अभी तुम ईश्वर की शरण में आते हो। बाबा तुमको 21 जन्म माया के बंधन से छुड़ा लेते हैं। बाप कितना सहज कर समझाते हैं। पारसबुद्धि बनने वाले जो होंगे वही बनेंगे।

    तुम समझते हो हम बाबा से कल्प-कल्प वर्सा लेते हैं। माया छीन लेती है फिर मैं आकर तुमको सुख-शान्ति का वर्सा देता हूँ। रावण दु:ख का वर्सा देते हैं, राम सुख का वर्सा देते हैं। कितना जन्म, कितना समय दु:ख और सुख का वर्सा मिलता है - वह भी सब तुमको बतलाते हैं। बाप कहते हैं - सिर्फ मुझ बाप को याद करो। मैं आत्मा परमपिता परमात्मा का बच्चा हूँ। बस, बाप को याद करते रहो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हो जायेंगे। तुम विकर्माजीत राजा बन जायेंगे। विकर्माजीत राजा का संवत एक से शुरू हुआ फिर विक्रम संवत 2500 वर्ष बाद शुरू होता है। विकर्माजीत और विक्रम, भारतवासियों के दो संवत हैं। विक्रम का संवत सभी जानते हैं, विकर्माजीत का संवत भूल गये हैं। यह है पढ़ाई।

    देखो, मुरली भी कितना ट्रेवल (यात्रा) करती है। नहीं तो गोप-गापियों को मुरली कैसे पहुँचे? टेप्स भी जाती हैं। सब सेन्टर्स टेप सुनते रहेंगे। यह मुरली है वन्डरफुल। इसके लिए ही गायन है कि गोपियां तड़फती थी। बाप कहते हैं मैं तो आता ही हूँ पतित दुनिया में। सतयुग में देवताओं को अपार सुख है। इतना सुख कोई पा न सके। हीरे-जवाहरों के महल में रहते हैं। यहाँ तो सोना कितना महंगा है। वहाँ तो तुम सोने की ईटों के महल बनायेंगे। फिर उनमें हीरों की जड़त होती है। बाप बच्चों को क्या से क्या बना देते हैं! सिर्फ पवित्र रहने की प्रतिज्ञा करनी है। क्रोध का भूत नहीं होना चाहिए। समझा जाता है इनमें भूत की प्रवेशता है, इनको किनारे कर दो। बहुत हैं जिनका अभी तक मोह नष्ट नहीं होता है। जैसे बन्दरी का मोह होता है ना, ऐसे बच्चों आदि में मोह अटक जाता है। बन्दर में सबसे जास्ती विकार होते हैं। तुमको अब बन्दर से मन्दिर लायक बना रहे हैं।

    रक्षाबन्धन का राज़ भी समझाया है। राखी बांधने की बात नहीं है। यह बाप से प्रतिज्ञा की जाती है। मीठे बाबा, बेहद के बाबा आधाकल्प, हम भक्तों ने आपको याद किया है। अब आप आये हो बैकुण्ठ का मालिक बनाने, इसलिए हम आपके मददगार बनते हैं। हम प्रतिज्ञा करते हैं कि कभी अपवित्र नहीं बनेंगे। पवित्र बन भारत को पवित्र बनायेंगे। कितनी सहज बात है! अच्छा!

    मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

    धारणा के लिए मुख्य सार:-

    1) श्रीमत पर पतित मनुष्यों को पावन देवता बनाने की सेवा करनी है। बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है।

    2) ज्ञान सागर का सारा ज्ञान हप करना है। बाप की याद से विकर्मों को दग्ध कर विकर्माजीत बनना है।

    वरदान:-

    कोई भी ड्युटी बजाते हुए स्वयं को सेवाधारी समझ सेवा करने वाले डबल फल के अधिकारी भव

    कोई भी कार्य करते, दफ्तर में जाते या बिजनेस करते - सदा स्मृति रहे कि सेवा के लिए यह ड्युटी बजा रहे हैं। सेवा के निमित्त यह कर रहा हूँ - तो सेवा आपके पास स्वत: आयेगी और जितनी सेवा करेंगे उतनी खुशी बढ़ती जायेगी। भविष्य तो जमा होगा ही लेकिन प्रत्यक्षफल खुशी मिलेगी। तो डबल फल के अधिकारी बन जायेंगे। याद और सेवा में बुद्धि बिजी होगी तो सदा ही फल खाते रहेंगे।

    स्लोगन:-

    जो सदा खुशहाल रहते हैं वह स्वंय को और सर्व को प्रिय लगते हैं।

    ***OM SHANTI***
    Brahma Kumaris Murli Hindi 1 August 2023

    इस मास की सभी मुरलियाँ (ईश्वरीय महावाक्य) निराकार परमात्मा शिव ने ब्रह्मा मुखकमल से अपने ब्रह्मावत्सों अर्थात् ब्रह्माकुमार एवं ब्रह्माकुमारियों के सम्मुख 18-1-1969 से पहले उच्चारण की थी। यह केवल ब्रह्माकुमारीज़ की अधिकृत टीचर बहनों द्वारा नियमित बीके विद्यार्थियों को सुनाने के लिए हैं।

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