Brahma Kumaris Murli Hindi 8 December 2022

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Posted by: BK Prerana

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    Brahma Kumaris Murli Hindi 8 December 2022

    Brahma Kumaris Murli Hindi 8 December 2022

    Brahma Kumaris Murli Hindi 8 December 2022

    08-12-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा"' मधुबन

    “मीठे बच्चे - तुम रूहानी आशिक हो - एक माशुक परमात्मा के, तुम्हें एक को ही दिल से याद करना है, दिल की प्रीत एक बाप से रखनी है''

    प्रश्नः-

    महावीर बच्चों की स्थिति और पुरुषार्थ क्या होगा - उसकी निशानी सुनाओ?

    उत्तर:-

    वह योग से आत्मा को पवित्र (सतोप्रधान) बनाने का पुरुषार्थ करते रहेंगे। उन्हें बाकी कोई भी बात की परवाह नहीं होगी। उनकी बुद्धि में रहेगा कि अब पुरानी दुनिया से नई दुनिया में ट्रांसफर होना है। वह विनाश से डरेंगे नहीं। उनके दिल के अन्दर रूहानी प्यार की आग रहेगी। वह पुरुषार्थ करते-करते रुद्र माला का दाना बन जायेंगे।

    गीत:-

    न वह हमसे जुदा होंगे...

    ओम् शान्ति। 

    इसको कहा जाता है रूहानी प्यार अर्थात् रूहों का रूहानी बाप के साथ प्यार। दुनिया भी उस रूहानी बाप को ही याद करती है कि हमको दु:ख से लिबरेट करो या दु:ख हरो। अब दु:ख हरो के पिछाड़ी सुख करो भी कहेंगे। सुख है ही सतयुग आदि में तो जरूर कलियुग अन्त में दु:ख होगा। यह बातें तुम बच्चे समझते हो। सारी दुनिया तो नहीं जानती है। तुम्हारे में भी थोड़े हैं। कोटों में कोई कहा जाता है ना। यह है रूहानी लव आत्माओं का परमात्मा के साथ। सारी दुनिया का माशूक एक ही परमात्मा है। वह सभी आत्माओं का माशूक है, जिसको ही सब पुकारते हैं। आत्मायें तो छोटी-बड़ी नहीं होती हैं। अब तुम आत्माओं का लव हो गया है एक परमपिता परमात्मा के साथ। इनको रूहानी प्यार कहा जाता है। दुनिया में वह आशिक माशूक तो जिस्मानी होते हैं। उनका आपस में प्यार भी जिस्मानी होता है। तुम्हारा तो रूहानी प्यार है। बाप ही आकर तुम्हारे दु:ख हरकर सुख देते हैं। तुमको बहुत सुख मिलता है फिर दु:ख भी बहुत मिलता है। बाप कहते हैं - हे बच्चे, अब तुम्हारा प्यार मेरे साथ हुआ है क्योंकि तुम जानते हो बाबा हमको सुखधाम का मालिक बनाने वाला है। मुक्ति और जीवनमुक्ति का दाता है। बाप कहते हैं तुम रहो भी भल अपने-अपने घर में, जैसे जिस्मानी आशिक माशुक भी अलग-अलग अपने घर में रहते हैं, यह भी ऐसे है। मैं दूरदेश से आता हूँ तुमको पढ़ाने। तुमने बुलाया है कि हे पतित-पावन आओ, हे दु:ख हर्ता सुख कर्ता अब आओ। वास्तव में आता तो मैं अपने टाइम पर हूँ। ऐसे नहीं तुम्हारी पुकार पर आ जाता हूँ। मैं आता तब हूँ जबकि तुमको कलियुग से सतयुग में चलना है वा मनुष्य से देवता, भ्रष्टाचारी से श्रेष्ठाचारी बनना है। तो अब तुम्हारा बाप के साथ रूहानी लव है। तुम्हारे अन्दर रूहानी प्यार की आग लगी हुई है। जैसे अज्ञान में काम-क्रोध की आग लगती है। अब तुम आत्माओं का प्यार होता है बाप के साथ। दुनिया तो कुछ भी समझती नहीं है। कह देते परमात्मा सर्वव्यापी है, नाम रूप से न्यारा है। एक तरफ कहते हैं नाम रूप से न्यारा, दूसरे तरफ कहते सर्वव्यापी है। तो उसमें मनुष्य जानवर आदि सब आ गये।

    अब तुम बच्चे जानते हो - आत्माओं का माशूक है परमात्मा, उनसे प्रीत लगानी है। यह तो जानते हैं आपदायें बहुत आयेंगी। भिन्न-भिन्न प्रकार के विघ्न भी पड़ेंगे। विघ्न तो हर एक को पड़ते हैं। यह कोई नई बात नहीं है क्योंकि नई दुनिया की स्थापना के लिए बाबा बिल्कुल नई बातें सुना रहा है। लिखा हुआ भी है ब्रह्मा द्वारा स्थापना। परन्तु स्थापना और विनाश की बात को कोई समझते नहीं हैं। स्थापना किसकी? कहते हैं राजस्व अश्वमेध ज्ञान यज्ञ रचा। जरूर यज्ञ रचा स्वराज्य के लिए। नर से नारायण और नारी से लक्ष्मी बनने के लिए राजयोग सिखाते हैं। अच्छा फिर उसकी रिजल्ट कहाँ? यह है नई बात इसलिए मनुष्य मूँझते हैं। गुरू लोग तो किसको मुक्ति जीवनमुक्ति दे न सके। यह बस गपोड़े लगाये हैं कि फलाना पार निर्वाण गया अथवा वैकुण्ठवासी हुआ। बाबा ने समझाया है देलवाड़ा मन्दिर में ऊपर वैकुण्ठ के चित्र दिखाये हैं, नीचे तपस्या के। अब तुमको समझ मिली है कि यह भारत ही वैकुण्ठ था। कब था, यह भी तुम ही जानते हो। पुजारी लोग क्या जानें! मनुष्य ही कौड़ी जैसा, मनुष्य ही हीरे जैसा बनता है। आगे यह बातें ख्याल में भी नहीं थी। बाप ने बतलाया है कि पुरुषार्थ कर ऊंच पद पाना है। अगर अच्छा पुरुषार्थ करेंगे तो नई राजधानी में ऊंच पद पायेंगे। अच्छा पुरुषार्थ करेंगे तो अच्छा पद मिलेगा। तुम्हारे लिए स्वर्ग कोई दूर नहीं है। जैसे स्कूल में बच्चे पढ़कर पास होते हैं तो एक क्लास से दूसरे में ट्रांसफर होते हैं। तुम भी ट्रांसफर होते हो पुरानी दुनिया से नई दुनिया में। तुम जानते हो हम पुरुषार्थ करते-करते जाकर पहले-पहले रूद्र माला का दाना बनेंगे। स्कूल में भी पास होते हैं तो फिर नम्बरवार जाकर बैठते हैं। यहाँ भी तुम बच्चे जानते हो हम पढ़ते हैं फिर हम आत्मायें मूलवतन में चले जायेंगे, फिर नई दुनिया में आयेंगे। पिछाड़ी में सबको मालूम पड़ेगा। रिजल्ट पिछाड़ी में निकलेगी। जो महावीर होंगे वह कोई भी बात की परवाह नहीं रखेंगे। जानते हैं विनाश तो होना ही है। डरने की बात ही नहीं। अर्थक्वेक तो होनी ही है। तुमको तो जाना है नई दुनिया में। जैसे स्टूडेन्ट समझते हैं हम दूसरे क्लास में ट्रांसफर होंगे। अब हमारी आत्मा पढ़ रही है - परमपिता परमात्मा से। तुम सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को जान गये हो। तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे, पढ़ाई भी फाईनल हो जायेगी, फिर हम पास होकर बाबा के पास पहुँच जायेंगे। यह तो जानते हो जो कल्प पहले हुआ है अब वही होना है। पुरुषार्थ तो बच्चों को हर बात में करना ही है। तुम बच्चे योगबल से अपने को पवित्र बना रहे हो। योग से ही आत्मा की खाद निकलती है। हमको पूरा-पूरा योगी बनना है। हम आधाकल्प के आशिक हैं। अभी हमें माशूक मिला है। वह हमको नई दुनिया में जाने के लिए लायक बना रहे हैं। कर्म भी करना है। यह सब कुछ करते हुए याद एक ही बाप को करना है। तुम्हारी बुद्धि में है - योग से हम अपने को पवित्र बना रहे हैं। योग से आत्मा की खाद निकलती है, हमको पूरा योगी बनना है। इसमें ही बड़ी पहलवानी चाहिए। आशिक-माशूक अपना धन्धाधोरी भी करते हैं और माशूक को भी याद करते रहते हैं। वह आशिक माशूक विकार के लिए नहीं होते हैं। वह शरीर पर आशिक होते हैं तब उनका गायन है। यह है रूहानी आशिक माशूक। तुमने आधाकल्प मुझे पूरा याद किया है। अब तुमको आकर मिला हूँ। मनुष्य समझते हैं भगवान से मुक्ति मिलेगी। बाप कहते हैं तुम्हारे लिए मुक्ति से जीवनमुक्ति भी अटैच है। मुक्ति में जाकर फिर जीवनमुक्ति में जरूर आयेंगे। माया के बंधन से छूट जाते हैं, फिर आते हैं सतोप्रधान में। पहले सुख के पीछे दु:ख का कायदा है। सबको सतो रजो तमो में आना ही है। अभी तमोप्रधान जड़जड़ीभूत अवस्था है झाड़ की। अब उनसे ही कलम लगानी है। दैवी झाड़ का कलम लग रहा है। वो लोग सैपलिंग बनाते हैं झाड़ों आदि की। उनकी सेरीमनी करते हैं। तुम्हारी क्या सेरीमनी होगी? उनकी है जंगल की सेरीमनी। तुम्हारी है बहिश्त की सेरीमनी। तुम कांटों को फूल बनाते हो। यह सारी संगम की बात है। अब पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है। निरन्तर याद की ही कोशिश करनी है। तुमको फायदा बहुत होगा। अच्छा वर्सा मिलेगा। बाप के साथ योग अथवा पूरा लव चाहिए। उनसे ही विकर्म विनाश होते हैं। तुम्हारे में जो खाद पड़ी है वो योग से ही निकलती है। सारा मदार है याद करने पर। नहीं तो माया विकर्म करा देती है। बाप कहते हैं जो कुछ विकर्म किया है। वह बाप के आगे रख माफी मांगनी है। बाप सम्मुख आये हैं तो तोबा भर लो (माफी ले लो)। तुम्हारे में भी नम्बरवार हैं जो बाप को पूरा लव करते हैं। लव करने वाले ही बाप की राय पर चलते होंगे। तुम सब सीताओं का राम एक ही बाप है। तुम तो समझ गये हो अब औरों को समझाना है। बाकी भक्ति तो एक प्रकार की दुकानदारी है। यह करते-करते ही मर जायेंगे। लड़ाईयाँ लगेंगी, विनाश होगा। फिर तो कुछ कर भी नहीं सकेंगे। भक्तिमार्ग भी ऐसे ही खत्म हो जायेगा। अभी तुम बच्चे बाप से वर्सा ले रहे हो। बाप कहते हैं बच्चे भूलो नहीं। तुम सबसे जास्ती लवली (प्यारे) हो। तुमको ही सबसे ऊंच पद मिलता है। नहीं पढ़ेंगे तो पद भी नहीं पायेंगे।

    बाबा कहते हैं जो कुछ बीमारी आदि होती है यह तुम्हारे ही कर्मों का हिसाब-किताब है। तुमको तो पढ़ना और पढ़ाना है। यह राजधानी स्थापन हो रही है। इसमें गरीब, साहूकार, प्रजा, नौकर, चाकर आदि सब बनने हैं। जो बादशाह बनते हैं जरूर उन्होंने अच्छे कर्म किये हैं। श्रीमत पर चलते हैं तब अच्छा पद पाते हैं, बड़ा भारी स्कूल है। नम्बरवार मर्तबे हैं। कोई बैरिस्टर लाख रूपया कमाते हैं, कोई बैरिस्टर 500 भी नहीं कमाते। कहेंगे तकदीर। पढ़ाई पूरी नहीं पढ़ सकते हैं तो कहेंगे ड्रामा अनुसार इनकी तकदीर ऐसी है। पढ़ाई के अनुसार ही पद पायेंगे। आगे चलकर तुमको पूरा-पूरा साक्षात्कार होता रहेगा। कहेंगे तुम्हारे ऊपर इतनी मेहनत की फिर तुम पढ़े नहीं। अब तो सजा खानी पड़ेगी। जन्म-जन्मान्तर की सजाओं का साक्षात्कार होता है। कर्मातीत अवस्था में जाना है तो पिछाड़ी में सब साक्षात्कार करते रहेंगे। ऐसे-ऐसे किया है, उसकी यह-यह सज़ा है। सज़ाओं का भी साक्षात्कार कराते हैं। अभी तुम जानते हो हम आत्मायें बच्चे हैं। भक्ति मार्ग में माशूक के आशिक थे। अब तो वह मिल गया है। इस माशूक से क्या मिलता है? ओहो! वह हमको स्वर्ग का मालिक बनाते हैं। तुम अब बाप और वर्से को जान गये हो, इसलिए बाप समझाते हैं कोई भी मिले तो समझाओ - तुमको दो बाप हैं - एक हद का, दूसरा बेहद का। बेहद के बाप से 21 पीढ़ी सुख का वर्सा मिलता है। रावण के राज्य में दु:ख ही दु:ख है इसलिए बाबा को याद करते हैं - हे दु:ख हर्ता सुख कर्ता आओ। कितनी सहज बात है। सिर्फ ब्रह्मा का मुख देख मनुष्यों का माथा खराब हो जाता है। प्रजापिता ब्रह्मा कोई तो होगा ना। नहीं तो कहाँ से लायेंगे। बी.के. का प्रूफ देंगे। हम बी.के. बाप के पास बैठे हैं। यह मनुष्य सृष्टि रूपी झाड़ है तो प्रजापिता ब्रह्मा भी यहाँ ही होगा।

    बाप कहते हैं - माया तुमसे बहुत लड़ेगी। बाप को याद करने नहीं देगी इसलिए खबरदार रहना। माया तुम्हारा बाप से मुख मोड़ने का पुरुषार्थ करेगी। परन्तु तुमको मोड़ना नहीं है। तुम्हारे पैर हैं नर्क की तरफ और मुख है स्वर्ग की तरफ। अब वैकुण्ठ में जाना है। अच्छा!

    मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

    धारणा के लिए मुख्य सार:-

    1) पढ़ाई अच्छी तरह पढ़नी और पढ़ानी है। सच्चा आशिक बन एक बाप से रूहानी लव रखना है। कोई भी विकर्म नहीं करने हैं।

    2) कोई भी विघ्न या आपदायें आयें लेकिन बाप से मुँह नहीं मोड़ना है। विघ्नों को पार कर पहलवान बनना है।

    वरदान:-

    हर आत्मा के प्रति प्यार की दृष्टि, प्यार की भावना रखने वाले बाप समान भव

    जैसे द्वापर से आप लोगों ने बाप को अनेक गालियां दी फिर भी बाप ने प्यार किया। तो फालो फादर कर बाप समान बनो। कैसी भी आत्मायें हों लेकिन अपनी दृष्टि, अपनी भावना प्यार की हो - इसको कहा जाता है सर्व के प्यारे। कोई इनसल्ट करे या घृणा सबके प्रति प्यार हो। चाहे संबंधी क्या भी कहें, क्या भी करें लेकिन आपकी भावना शुद्ध हो, सर्व के प्रति कल्याण की हो - इसको कहते हैं बाप समान।

    स्लोगन:-

    विशेष आत्मा वह है जो विशेषताओं को ही देखे और उनका ही वर्णन करे।

    Brahma Kumaris Murli Hindi 8 December 2022

    ***OM SHANTI***

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