Brahma Kumaris Murli Hindi 1 September 2022

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Posted by: BK Prerana

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    Brahma Kumaris Murli Hindi 1 September 2022

    Brahma Kumaris Murli Hindi 1 September 2022

    Brahma Kumaris Murli Hindi 1 September 2022


    01-09-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा"' मधुबन

    “मीठे बच्चे - अभी तुम ब्राह्मणों को देवताओं से भी जास्ती रॉयल्टी से चलना है क्योंकि तुम अभी निराकारी और साकारी ऊंच कुल के हो''

    प्रश्नः-

    किन बच्चों का मुखड़ा (चेहरा) फूल की तरह खिला हुआ रहेगा?

    उत्तर:-

    जिन्हें गुप्त खुशी होगी कि बाप से हम बेहद का वर्सा लेकर विश्व का मालिक बनते हैं। 2- जो ज्ञान और योग से सतोप्रधान बनते जा रहे हैं। आत्मा पवित्र होती जाती है। ऐसे बच्चों का मुखड़ा फूल की तरह खुशी में खिला हुआ रहेगा। आत्मा में ताकत आती जायेगी। मुख से ज्ञान रत्न निकलते-निकलते रूप-बसन्त बन जायेंगे। नई राजधानी का साक्षात्कार होता रहेगा।

    गीत:-

    मरना तेरी गली में...

    ओम् शान्ति। 

    मीठे-मीठे बच्चों ने अच्छी तरह समझ लिया है कि हमको बाबा के गले का हार बनना है। यह किसने कहा? आत्मा ने कहा कि अभी आपके ही गले का हार बनना है। देह-अभिमान छोड़ना है। अभी हम रूद्र माला में पिरोयेंगे। वापिस जाना है इसलिए जीते जी देह-अभिमान छोड़ना है। आत्मा परमात्मा की सन्तान है, उनसे ही अब हम वर्सा ले रहे हैं। बच्चों को यह नशा रहना चाहिए। तो बुद्धि शिवबाबा पास चली जायेगी। हम आत्मा उनकी सन्तान हैं। अभी ब्रह्मा द्वारा उनके पोत्रे बने हैं। निराकार बाबा, साकार दादा है। बाप है ऊंच ते ऊंच। मनुष्य जो ऊंचे धनवान होते हैं वह बड़ी रॉयल्टी से रहते हैं। अपनी पोजीशन का नशा रहता है। तुम बच्चों को अन्दर में बहुत खुशी होनी चाहिए। बाप की याद में रहना यही देही-अभिमानी अवस्था है, जिससे तुम्हारा बहुत फायदा है। तुम बच्चे जानते हो कि हम ईश्वरीय सन्तान, ब्रह्मा की सन्तान हैं। बाबा कहते हैं तुम मेरे बच्चे हो ही, अभी तुमको ब्रह्मा द्वारा एडाप्ट करता हूँ। तुम्हें यह नशा रहना चाहिए - हम निराकारी और साकारी ऊंच ब्राह्मण कुल के हैं। अपने को ब्राह्मण समझना है। हम ईश्वरीय सन्तान ब्रह्मा की औलाद हैं। तुम जानते हो हम ब्राह्मण से देवता बन रहे हैं। यह भूलना नहीं चाहिए। तुम ब्राह्मणों को देवताओं से भी अधिक रॉयल्टी से चलना चाहिए। तुम्हारा अमूल्य जीवन अभी बनता है। पहले कौड़ी जैसा था, अब हीरे जैसा बनता है, इसलिए तुम्हारी महिमा है। मन्दिर भी तुम्हारे यादगार बने हुए हैं। सोमनाथ, जिसने देवताओं को ऐसा बनाया, उनका भी यादगार है। तुम्हारा भी यादगार है। सोमनाथ ने अविनाशी ज्ञान रत्न दिये हैं तो उनका मन्दिर कितना अच्छा बना हुआ है। तुम जब गीत सुनते हो तो जानते हो अभी हम शिवबाबा के गले का हार बने हैं। बाबा हमको पढ़ाते हैं। हमको पढ़ाने वाला कौन है, वह भी खुशी होनी चाहिए। पहले अल्फ बे पढ़ते हैं तो पट (जमीन) में बैठ पढ़ते हैं फिर बेंच पर बैठ पढ़ते हैं, फिर कुर्सी पर। प्रिन्स-प्रिन्सेज तो कॉलेज में कोच पर बैठते हैं। उन्हों को पढ़ाने वाला कोई प्रिन्स-प्रिन्सेज नहीं होता है। वह फिर भी कोई टीचर होता है। परन्तु मर्तबा तो प्रिन्स प्रिन्सेज का ऊंच होता है ना। तुम तो सतयुगी प्रिन्स प्रिन्सेज से भी ऊंच हो ना। वह फिर भी देवताओं की सन्तान हैं। तुम हो ईश्वरीय सन्तान, जिससे वर्सा लेना है उनको याद भी करना है। उठते बैठते व्यवहार में रहते, उनको भूलना नहीं चाहिए। याद से ही हेल्दी-वेल्दी बनते हैं।

    बाप बच्चों को विल कर वानप्रस्थ में जाते हैं तो फिर कुछ भी नहीं रहा। सब कुछ दे दिया। जैसे तुम विल करते हो कि बाबा यह सब आपका है। बाबा फिर कहते हैं अच्छा ट्रस्टी हो सम्भालो। तुम हमको ट्रस्टी बनाते हो, फिर हम तुमको ट्रस्टी बनाते हैं तो श्रीमत पर चलना, कोई उल्टा-सुल्टा धन्धा नहीं करना। मेरे से पूछते रहना, कोई तो यह भी नहीं जानते कि बच्चों को भोजन कैसे खाना चाहिए। ब्रह्मा भोजन की बड़ी महिमा है। देवतायें भी ब्रह्मा भोजन की आश रखते हैं तब तो तुम ब्रह्माभोजन ले जाते हो। इस ब्रह्मा भोजन में बहुत ताकत है। आगे चल भोजन योगी लोग बनायेंगे। अभी तो पुरूषार्थी हैं। जितना हो सकता है शिवबाबा की याद में रहने की कोशिश करते हैं। बच्चे तो हैं ना। खाने वाले बच्चे पक्के होते जायेंगे तो बनाने वाले भी पक्के निकलते रहेंगे। ब्रह्मा भोजन कह देते हैं। शिव भोजन नहीं कहते हैं। शिव का भण्डारा कहते हैं। जो भी भेज देते हैं वह शिवबाबा के भण्डारे में पवित्र हो जाता है। शिवबाबा का भण्डारा है। बाबा ने बतलाया है - श्रीनाथ द्वारे पर घी के कुएं हैं। वहाँ पक्की रसोई बनती है और जगन्नाथ द्वारे पर कच्ची रसोई बनती है। फर्क है ना। वह है श्याम, वह है सुन्दर। श्रीनाथ पास बहुत धन है - वहाँ (उड़ीसा के तरफ) इतना धनवान नहीं होते। गरीब और साहूकार तो होते हैं ना। अभी तो बहुत गरीब हैं फिर साहूकार होंगे। इस समय तुम बहुत गरीब हो। वहाँ तो तुमको 36 प्रकार के भोजन मिलेंगे। तो ऐसी तैयारियाँ करनी चाहिए। भल प्रजा भी 36 प्रकार के भोजन खा सकती है परन्तु राजाई का मर्तबा तो ऊंच है ना। वहाँ का भोजन तो बहुत फर्स्टक्लास होगा। सब चीजें ए वन क्वालिटी की होती है। यहाँ सब चीजें जेड क्वालिटी की हैं। दिन-रात का फर्क है ना। अनाज आदि जो कुछ निकलता, सब सड़ा हुआ रहता है। तुम बच्चों को बहुत नशा रहना चाहिए, कोई बड़ा इम्तहान पास करते हैं तो नशा रहता है ना। तुमको तो बड़ा ऊंच नशा रहना चाहिए - हमको भगवान पढ़ा रहे हैं। जो सर्व का सद्गति दाता है। बाप कहते हैं मैं तुम्हारा ओबीडियन्ट सर्वेन्ट हूँ। बाप बच्चों का ओबीडियन्ट सर्वेन्ट होता है ना। बच्चों पर बलि चढ़ फिर खुद वानप्रस्थ में चले जाते हैं। बाप कहते हैं मैं भी बलि चढ़ता हूँ। परन्तु तुम पहले बलि चढ़ते हो। आदमी मरता है तो उसकी चीजें करनीघोर को देते हैं ना। साहूकार होते हैं तो फर्नीचर आदि भी दे देते हैं। तुम बच्चे क्या देते हो? किचड़पट्टी। उसकी एवज़ में तुमको क्या मिलता है? गरीब ही वर्सा लेते हैं। बलिहार जाते हैं। बाबा लेते क्या हैं, देते क्या हैं? तो तुम बच्चों को नशा रहना चाहिए। बेहद का बाबा मिला है, मूत पलीती कपड़ धोते हैं। सिक्ख लोग कहते हैं - गुरुनानक ने यह वाणी चलाई - जिसका ग्रन्थ बना हुआ है। भारतवासियों को यह भी पता नहीं कि हमारी गीता किसने गाई? गीता का भगवान कौन था? कौन सा धर्म स्थापन किया? वह तो हिन्दू धर्म कह देते हैं। आर्य धर्म कहते हैं, अर्थ कुछ भी नहीं समझते। वह समझते हैं कि आर्य धर्म था, अब तो सारा भारत अनआर्य है। यह तो करके दयानंद ने नाम रखा है। पिछाड़ी को जो टालियाँ निकलती हैं उनकी जल्दी-जल्दी वृद्धि हो जाती है। तुमको तो मेहनत करनी पड़ती है। उन्हों को कनवर्ट करने में देरी थोड़ेही लगती है। यहाँ तो कनवर्ट होने की बात ही नहीं है। यहाँ तो शूद्र से ब्राह्मण बनना है। ब्राह्मण बनना कोई मासी का घर थोड़ेही है। चलते-चलते फाँ हो जाते हैं। बाबा कहते हैं कोई गला भी काट दे तो भी अपवित्र नहीं बनना है। बाबा से पूछते हैं कि इस हालत में क्या करूँ? तो बाबा समझ जाते हैं कि सहन नहीं कर सकते हैं। तो बाबा कहते हैं जाकर पतित बनो। यह तो तुम्हारे ऊपर है। वह तो करके इस एक जन्म लिए मार देंगे, तुम तो 21 जन्मों के लिए अपना कतल करती हो। चलते-चलते माया जोर से थप्पड़ मार देती है। बॉक्सिंग है ना। एक ही घूसे से एकदम गिरा देती है। 15-20 वर्ष के, शुरू से आये हुए भी ऐसे हैं जो एकदम छोड़कर चले जाते हैं, मर पड़ते हैं। ऐसे भी नाज़ुक हैं। भूल पर तो पछताना होता है ना। बाप समझाते हैं बच्चे तुम यह डिससर्विस करते हो, यह ठीक नहीं है। शिक्षा तो दी जाती है ना। कोई घूंसा नहीं लगाया जाता है। जैसे कहते हैं ना घर में बच्चे बहुत तंग करते हैं तो चमाट लगानी पड़ती है। बाबा कहते हैं अच्छा उनके कल्याण के लिए करके थोड़ा कान पकड़ लो। जितना हो सके बड़े प्यार से समझाओ। कृष्ण के लिए भी कहते हैं कि उनको रस्सी में बांध देते थे। परन्तु ऐसी चंचलता वहाँ होती नहीं है। इस समय के ही बच्चे नाक में दम कर देते हैं।

    तो बाप समझाते हैं कि बच्चे मंजिल बहुत ऊंची है। हर बात में पूछो - बाबा युक्तियाँ बतलाते रहेंगे। हर एक की बीमारी अलग-अलग होती है। कदम-कदम पर सावधानी लेनी है। नहीं तो धोखा खा लेंगे। बहुत-बहुत मीठा बनना है। शिवबाबा कितना मीठा कितना प्यारा है। बच्चों को भी ऐसा बनना चाहिए। बाप तो चाहेंगे ना - बच्चे हमसे भी ऊंच बनें। नाम निकालें। ऐसा फर्स्टक्लास बनो जो हमसे भी तुम्हारा ऊंच पद हो। बरोबर ऊंच पद देते हैं ना! किसको ख्याल में भी नहीं होगा कि यह विश्व के मालिक कैसे बनें। तो तुम्हारी चलन बड़ी रॉयल होनी चाहिए। चलना, फिरना, बोलना, खाना बड़ा रॉयल्टी से होना चाहिए। अन्दर में बड़ी खुशी होनी चाहिए - हम ईश्वरीय सन्तान हैं। लक्ष्मी-नारायण के चित्र तो प्रत्यक्ष हैं। तुम तो गुप्त हो ना। तुम ब्राह्मणों को ब्राह्मण ही जानें और न जाने कोई। तुम जानते हो हम गुप्त वेष में बाबा से वर्सा लेकर विश्व के मालिक बनते हैं। बहुत ऊंच पद है, इसमें अन्दर में बड़ी खुशी रहती है। मुखड़ा फूल की तरह खिला रहना चाहिए, ऐसा पुरूषार्थ करना है। अभी कोई ऐसा बना नहीं है। पुरूषार्थ करना है। आगे चल तुम्हारा बहुत मान होने वाला है। संन्यासियों और राजाओं को भी पिछाड़ी में ज्ञान देना है। जब तुम्हारे में पूरी ताकत आ जाती है।

    ज्ञान और योग बल से तुम्हें सतोप्रधान बनना है। मुख से सदैव रत्न ही निकलते रहें तो तुम रूप-बसन्त बन जायेंगे। आत्मा पवित्र बनती जायेगी। तुम जितना नजदीक आते जायेंगे तो अन्दर में बहुत खुशी होगी। अपनी राजधानी का साक्षात्कार भी होता रहेगा। तुमको अपना पुरूषार्थ बहुत गुप्त रीति से करना चाहिए। रास्ता बताना चाहिए। तुम सब द्रोपदियां हो। बाबा कहते हैं यह अत्याचार सहन करने पड़ेंगे - बाबा के निमित्त। सतयुग में कितनी पवित्रता है। 100 परसेन्ट वाइसलेस वर्ल्ड कहा जाता है। अभी है 100 परसेन्ट विशश वर्ल्ड। तुम्हारी बुद्धि में है अभी हम शिवबाबा के गले का हार बनने के लिए रूहानी योग की दौड़ी पहन रहे हैं। फिर हम विष्णु के गले का हार बनेंगे। तुम्हारा पहले-पहले नसल है - ब्राह्मणों का। फिर तुम देवता क्षत्रिय बनते हो। उतरती कला में तुमको सारा कल्प लगता है और चढ़ती कला में सेकेण्ड लगता है। अभी तुम्हारी चढ़ती कला है। सिर्फ बाबा को याद करना है, यह अन्तिम जन्म है। गिरने में तुमको 84 जन्म लगते हैं। इस जन्म में तुम चढ़ते जाते हो। बाबा सेकेण्ड में जीवनमुक्ति देते हैं। वह खुशी रहनी चाहिए। कान्ट्रास्ट किया जाता है - उस नॉलेज से हम क्या बनेंगे! इससे हम क्या बनेंगे! यह भी पढ़ना है, वह भी पढ़ना है। बाबा कहते हैं गृहस्थ व्यवहार में रहते भविष्य के लिए पुरूषार्थ करना है। आसुरी और दैवी कुल दोनों से तोड़ निभाना है। एक-एक का बाबा हिसाब लेते हैं। फिर उस पर वैसी युक्ति बतलाते हैं कि इस पर ऐसे चलो। भल कोई गुस्सा करे परन्तु तुमको बहुत मीठा बनना है। कोई गाली दे तो भी मुस्कराते रहना है।

    अच्छा- तुम गाली देते हो हम तुम्हारे ऊपर फूल चढ़ाते हैं। तो एकदम शान्त हो जायेंगे। एक मिनट में ठण्डे हो जायेंगे। बाबा रांझू-रमजबाज है। बहुत रमजें (युक्तियां) बतायेंगे। पतितों को पावन बनाते हैं तो जरूर रमज़ होगी ना। श्रीमत लेनी है। श्रीमत से श्रेष्ठ बनने के लिए ही आये हो। अच्छा!

    मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

    धारणा के लिए मुख्य सार:-

    1) ऐसा फर्स्टक्लास मीठा और रॉयल बनना है जो बाप का नाम बाला हो। कोई गुस्सा करे, गाली दे तो भी मुस्कराते रहना है।

    2) श्रीमत पर पूरा-पूरा ट्रस्टी बनना है। कोई भी उल्टा धन्धा नहीं करना है। पूरा-पूरा बलिहार जाना है।

    वरदान:-

    पूर्वजपन की स्मृति द्वारा सर्व की पालना करने वाले शुभ वृत्ति वा मंसा शक्ति सम्पन्न भव

    किसी भी धर्म की आत्माओं को मिलते वा देखते हो तो यह स्मृति रहे कि यह सब आत्मायें हमारे ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर की वंशावली हैं। हम ब्राह्मण आत्मायें पूर्वज हैं। पूर्वज सभी की पालना करते हैं। आपकी अलौकिक पालना का स्वरूप है बाप द्वारा प्राप्त हुई सर्व शक्तियां अन्य आत्माओं में भरना। जिस आत्मा को जिस शक्ति की आवश्यकता है, उसकी उस शक्ति द्वारा पालना करना। इसके लिए अपनी वृत्ति बहुत शुद्ध और मन्सा, शक्ति सम्पन्न होनी चाहिए।

    स्लोगन:-

    जिसके पास ज्ञान का अविनाशी धन है - वही दुनिया में सबसे बड़ा सम्पत्तिवान है।

    Brahma Kumaris Murli Hindi 1 September 2022

    ***OM SHANTI***

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