Brahma Kumaris Murli Hindi 24 July 2020

bk murli today

Posted by: BK Prerana

BK Prerana is executive editor at bkmurlis.net and covers daily updates from Brahma Kumaris Spiritual University. Prerana updates murlis in English and Hindi everyday.
Twitter: @bkprerana | Facebook: @bkkumarisprerana
Share:






    Brahma Kumaris Murli Hindi 24 July 2020

    Brahma Kumaris Murli Hindi 24 July 2020

    Brahma Kumaris Murli Hindi 24 July 2020


    24-07-2020 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा"' मधुबन

    “मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हें ज्ञान रत्न देने, बाप तुम्हें जो भी सुनाते वा समझाते हैं यह ज्ञान है, ज्ञान रत्न ज्ञान सागर के सिवाए कोई दे नहीं सकता''

    प्रश्नः- 

    आत्मा की वैल्यु कम होने का मुख्य कारण क्या है?

    उत्तर:- 

    वैल्यु कम होती है खाद पड़ने से। जैसे सोने में खाद डालकर जेवर बनाते हैं तो उसकी वैल्यु कम हो जाती है। ऐसे आत्मा जो सच्चा सोना है, उसमें जब अपवित्रता की खाद पड़ती है तो वैल्यु कम हो जाती है। इस समय तमोप्रधान आत्मा की कोई वैल्यु नहीं। शरीर की भी कोई वैल्यु नहीं। अभी तुम्हारी आत्मा और शरीर दोनों याद से वैल्युबुल बन रहे हैं।

    गीत:- 

    यह कौन आज आया सवेरे-सवेरे.......

    ओम् शान्ति। 

    मीठे-मीठे रूहानी बच्चों प्रति बाप बैठ समझाते हैं और याद की युक्तियाँ भी बता रहे हैं। बच्चे बैठे हैं, बच्चों के अन्दर में है शिव भोले बाबा आये हैं। समझो आधा घण्टा शान्त में बैठ जाते हैं, बोलते नहीं हैं तो तुम्हारे अन्दर आत्मा कहेगी कि शिवबाबा कुछ बोले। जानते हो शिवबाबा विराजमान है, परन्तु बोलते नहीं हैं। यह भी तुम्हारी याद की यात्रा है ना। बुद्धि में शिवबाबा ही याद है। अन्दर में समझते हो बाबा कुछ बोले, ज्ञान रत्न देवे। बाप आते ही हैं तुम बच्चों को ज्ञान रत्न देने। वह ज्ञान का सागर है ना। कहेंगे - बच्चे, देही-अभिमानी हो रहो। बाप को याद करो। यह ज्ञान हुआ। बाप कहते हैं इस ड्रामा के चक्र को, सीढ़ी को और बाप को याद करो - यह ज्ञान हुआ। बाबा जो कुछ समझायेंगे उसको ज्ञान कहेंगे। याद की यात्रा भी समझाते रहते हैं। यह सब है ज्ञान रत्न। याद की बात जो समझाते हैं, यह रत्न बहुत अच्छे हैं। बाप कहते हैं अपने 84 जन्मों को याद करो। तुम पवित्र आये थे फिर पवित्र होकर ही जाना है। कर्मातीत अवस्था में जाना है और बाप से पूरा वर्सा लेना है। वह तब मिलेगा, जब आत्मा सतोप्रधान बन जायेगी याद के बल से। यह अक्षर बहुत वैल्युबुल है, नोट करने चाहिए। आत्मा में ही धारणा होती है। यह शरीर तो आरगन्स हैं जो विनाश हो जाते हैं। संस्कार अच्छे वा बुरे आत्मा में भरे जाते हैं। बाप में भी संस्कार भरे हुए हैं - सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज के, इसलिए उनको नॉलेजफुल कहा जाता है। बाबा राइट कर समझाते हैं - 84 का चक्र बिल्कुल सहज है। अभी 84 का चक्र पूरा हुआ है। अभी हमको वापिस बाप के पास जाना है। मैली आत्मा तो वहाँ जा न सके। तुम्हारी आत्मा पवित्र हो जायेगी तो फिर यह शरीर छूट जायेगा। पवित्र शरीर तो यहाँ मिल न सके। यह पुरानी जुत्ती है, इनसे वैराग्य आता जा रहा है। आत्मा को पवित्र बन फिर भविष्य में हमको पवित्र शरीर लेना है। सतयुग में हम आत्मा और शरीर दोनों पवित्र थे। इस समय तुम्हारी आत्मा अपवित्र बन गई है तो शरीर भी अपवित्र है। जैसा सोना वैसा जेवर। गवर्मेन्ट भी कहती है हल्के सोने का जेवर पहनो। उसका भाव कम है। अभी तुम्हारी आत्मा की भी वैल्यु कम है। वहाँ तुम्हारी आत्मा की कितनी वैल्यु रहती है। सतोप्रधान है ना। अभी है तमोप्रधान। खाद पड़ी है, कोई काम की नहीं है। वहाँ आत्मा पवित्र है, तो बहुत वैल्यु है। अभी 9 कैरेट बन गई है तो कोई वैल्यु नहीं है इसलिए बाप कहते हैं आत्मा को पवित्र बनाओ तो फिर शरीर भी पवित्र मिलेगा। यह ज्ञान और कोई दे न सके।

    बाप ही कहते हैं मामेकम् याद करो। कृष्ण कैसे कहेंगे। वह तो देहधारी है ना। बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो। कोई देहधारी को याद न करो। अभी तुम समझते हो तो फिर समझाना है। शिवबाबा है निराकार, उनका अलौकिक जन्म है। तुम बच्चों को भी अलौकिक जन्म देते हैं। अलौकिक बाप अलौकिक बच्चे। लौकिक, पारलौकिक और अलौकिक कहा जाता है। तुम बच्चों को अलौकिक जन्म मिलता है। बाप तुमको एडाप्ट कर वर्सा देते हैं। तुम जानते हो हम ब्राह्मणों का भी अलौकिक जन्म है। अलौकिक बाप से अलौकिक वर्सा मिलता है। ब्रह्माकुमार-कुमारियों बिगर और कोई स्वर्ग का मालिक बन न सके। मनुष्य कुछ भी समझते नहीं। तुमको बाप कितना समझाते हैं। आत्मा जो अपवित्र बनी है वह सिवाए याद के पवित्र बन नहीं सकती। याद में नहीं रहेंगे तो खाद रह जायेगी। पवित्र बन नहीं सकेंगे फिर सज़ायें खानी पड़ेंगी। सारी दुनिया की मनुष्य आत्माओं को पवित्र बन वापिस जाना है। शरीर तो नहीं जायेगा। बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझना कितना मुश्किल रहता है। धन्धे आदि में वह अवस्था थोड़ेही रहती है। बाप कहते हैं अच्छा अपने को आत्मा नहीं समझते हो तो शिवबाबा को याद करो। धंधा आदि करते यही मेहनत करो कि मैं आत्मा इस शरीर से काम करती हूँ। मैं आत्मा ही शिवबाबा को याद करती हूँ। आत्मा ही पहले-पहले पवित्र थी, अब फिर पवित्र बनना है। यह है मेहनत। इसमें बड़ी जबरदस्त कमाई है। यहाँ कितने भी साहूकार हैं, अरब-खरब हैं परन्तु वह सुख नहीं है। सबके सिर पर दु:ख हैं। बड़े-बड़े राजायें, प्रेजीडेन्ट आदि आज हैं, कल उनको मार देते। विलायत में क्या-क्या होता रहता है। साहूकारों पर, राजाओं पर तो मुसीबत है। यहाँ भी जो राजायें थे वह प्रजा बन गये हैं। राजाओं पर फिर प्रजा का राज्य हो गया है। ड्रामा में ऐसे नूँध है। पिछाड़ी में ही यह हाल होता है। बहुत ही आपस में लड़ते रहेंगे। तुम जानते हो कल्प पहले भी ऐसे हुआ था। तुम गुप्त वेष में दिल व जान, सिक व प्रेम से अपना गँवाया हुआ राज्य लेते हो। तुमको पहचान मिली है - हम तो मालिक थे, सूर्यवंशी देवतायें थे। अभी फिर वह बनने के लिए पुरूषार्थ कर रहे हो क्योंकि यहाँ तुम सत्य नारायण की कथा सुन रहे हो ना। बाप द्वारा हम नर से नारायण कैसे बनें? बाप आकर राजयोग सिखलाते हैं। भक्ति मार्ग में यह कोई सिखला न सके। कोई भी मनुष्य को बाप, टीचर, गुरू नहीं कहेंगे। भक्ति में कितनी पुरानी कहानियाँ बैठ सुनाते हैं। अब तुम बच्चों को 21 जन्म विश्राम पाने के लिए पावन तो जरूर बनना पड़े।

    बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझो। आधाकल्प तो ड्रामा अनुसार देह-अभिमानी हो रहते हो, अब देही-अभिमानी बनना है। ड्रामा अनुसार अब पुरानी दुनिया को बदल नया बनना है। दुनिया तो एक ही है। पुरानी दुनिया से फिर नई बनेगी। नई दुनिया में नया भारत था तो उसमें देवी-देवता थे, कैपीटल भी जानते हो, जमुना का कण्ठा था, जिसको परिस्तान भी कहते थे। वहाँ नैचुरल ब्युटी रहती है। आत्मा पवित्र बन जाती है तो पवित्र आत्मा को शरीर भी पवित्र मिलता है। बाप कहते हैं मैं आकर तुमको हसीन सो देवी-देवता बनाता हूँ। तुम बच्चे अपनी जांच करते रहो, कोई हमारे में अवगुण तो नहीं है? याद में रहते हैं? पढ़ाई भी पढ़नी है। यह है बहुत बड़ी पढ़ाई। एक ही पढ़ाई है, उस पढ़ाई में तो कितने किताब आदि पढ़ते हैं। यह पढ़ाई है ऊंच ते ऊंच, पढ़ाने वाला भी है ऊंच ते ऊंच शिवबाबा। ऐसे नहीं कि शिवबाबा कोई इस दुनिया का मालिक है। विश्व के मालिक तो तुम बनते हो ना। कितनी नई-नई गुह्य बातें तुमको सुनाते रहते हैं। मनुष्य समझते हैं परमात्मा सृष्टि का मालिक है। बाप समझाते हैं - मीठे-मीठे बच्चों, मैं इस सृष्टि का मालिक नहीं हूँ। तुम मालिक बनते हो और फिर राज्य गँवाते हो। फिर बाप आकर विश्व का मालिक बनाते हैं। विश्व इसको ही कहा जाता है। मूलवतन वा सूक्ष्मवतन की बात नहीं है। मूलवतन से तुम यहाँ आकर 84 जन्म का चक्र लगाते हो। फिर बाप को आना पड़ता है। अभी फिर तुमको पुरूषार्थ कराता हूँ - वह प्रालब्ध पाने के लिए, जो तुमने गँवाई है। हार और जीत का खेल है ना। यह रावण राज्य खलास होना है। बाप कितना सहज रीति समझाते हैं। बाप खुद बैठ पढ़ाते हैं। वहाँ तो मनुष्य, मनुष्य को पढ़ाते हैं। हो तुम भी मनुष्य परन्तु बाप तुम आत्माओं को बैठ पढ़ाते हैं। पढ़ाई के संस्कार आत्मा में ही रहते हैं। अभी तुम बहुत नॉलेजफुल हो, वह सब है भक्ति की नॉलेज। कमाई के लिए भी नॉलेज है। शास्त्रों की भी नॉलेज है। यह है रूहानी नॉलेज। तुम्हारी रूह को रूहानी बाप बैठ नॉलेज सुनाते हैं। 5 हज़ार वर्ष पहले भी तुमने सुनी थी। सारे मनुष्य सृष्टि भर में ऐसे कभी कोई पढ़ाता नहीं होगा। किसको भी पता नहीं, ईश्वर कैसे पढ़ाते हैं?

    तुम बच्चे जानते हो अभी इस पढ़ाई से किंगडम स्थापन हो रही है। जो अच्छी रीति पढ़ते और श्रीमत पर चलते हैं वह हाइएस्ट बनते हैं और जो बाप की जाए निंदा कराते हैं, हाथ छोड़ जाते हैं वह प्रजा में बहुत कम पद पाते हैं। बाप तो एक ही पढ़ाई पढ़ाते हैं। पढ़ाई में कितनी मार्जिन है। डीटी किंगडम थी ना। एक ही बाप है जो यहाँ आकर किंगडम स्थापन करते हैं। बाकी यह सब विनाश हो जाना है। बाप कहते हैं - बच्चे, अब जल्दी तैयारी करो। ग़फलत में टाइम वेस्ट नहीं करो। याद नहीं करते हैं तो मोस्ट वैल्युबुल टाइम नुकसान होता है। शरीर निर्वाह अर्थ धंधा आदि भल करो फिर भी हथ कार डे दिल यार डे। बाप कहते हैं मुझे याद करो तो राजाई तुमको मिल जायेगी। खुदा दोस्त की कहानी भी सुनी है ना। अल्लाह अवलदीन का भी नाटक दिखाते हैं। ठका करने से खजाना निकल आया। अभी तुम बच्चे जानते हो - अल्लाह तुमको ठका करने से क्या से क्या बनाते हैं। झट दिव्य दृष्टि से वैकुण्ठ चले जाते हो। आगे बच्चियां आपस में मिलकर बैठती थी, फिर आपेही चली जाती थी ध्यान में। फिर जादू कह देते थे। तो वह बंद कर दिया। तो यह सब बातें हैं इस समय की। हातमताई की भी कहानी है। मुहलरा मुख में डालते थे तो माया गुम हो जाती थी। मुहलरा निकालने से माया आ जाती थी। रहस्य तो कोई समझ न सके। बाप कहते हैं बच्चे मुख में मुहलरा डाल दो। तुम शान्ति के सागर हो, आत्मा शान्ति में अपने स्वधर्म में रहती है। सतयुग में भी जानते हैं कि हम आत्मा हैं। बाकी परमात्मा बाप को कोई भी नहीं जानते। कभी भी कोई पूछे - बोलो वहाँ विकार का नाम नहीं है। है ही वाइसलेस वर्ल्ड। 5 विकार वहाँ होते ही नहीं। देह-अभिमान ही नहीं। माया के राज्य में देह-अभिमानी बनते हैं, वहाँ होते ही हैं मोहजीत। इस पुरानी दुनिया से नष्टोमोहा होना है। वैराग्य तो उनको आता है जो घरबार छोड़ते हैं। तुमको तो घरबार नहीं छोड़ना है। बाप की याद में रहते यह पुराना शरीर छोड़कर जाना है। सबका हिसाब-किताब चुक्तू होना है। फिर चले जायेंगे घर। यह कल्प-कल्प होता है। तुम्हारी बुद्धि अभी दूर-दूर ऊपर जाती है, वो लोग देखते हैं कहाँ तक सागर है? सूर्य-चांद में क्या है? आगे समझते थे यह देवतायें हैं। तुम कहते हो यह तो माण्डवे की बत्तियां हैं। यहाँ खेल होता है। तो यह बत्तियां भी यहाँ हैं। मूलवतन, सूक्ष्मवतन में यह होती नहीं। वहाँ खेल ही नहीं। यह अनादि खेल चला आता है। चक्र फिरता रहता है, प्रलय होती नहीं। भारत तो अविनाशी खण्ड है, इसमें मनुष्य रहते ही हैं, जलमई होती नहीं। पशू-पक्षी आदि जो भी हैं, सब होंगे। बाकी जो भी खण्ड हैं, वह सतयुग-त्रेता में रहते नहीं। तुमने जो कुछ दिव्य दृष्टि से देखा है, वह फिर प्रैक्टिकल में देखेंगे। प्रैक्टिकल में तुम वैकुण्ठ में जाकर राज्य करेंगे। जिसके लिए पुरूषार्थ करते रहते हो, फिर भी बाप कहते हैं याद की बड़ी मेहनत है। माया याद करने नहीं देती है। बहुत प्यार से बाबा को याद करना है। अज्ञान काल में भी प्यार से बाप की महिमा करते हैं। हमारा फलाना ऐसा था, फलाने मर्तबे वाला था। अभी तुम्हारी बुद्धि में सारा सृष्टि चक्र बैठा हुआ है। सब धर्मों की नॉलेज है। जैसे वहाँ रूहों का सिजरा है, यहाँ फिर मनुष्य सृष्टि का सिजरा है। ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर ब्रह्मा है। फिर है तुम्हारी बिरादरी। सृष्टि तो चलती रहती है ना।

    बाप समझाते हैं - बच्चे, नर से नारायण बनना है तो तुम्हारी जो कथनी है, वही करनी हो। पहले अपनी अवस्था को देखना है। बाबा हम तो आपसे पूरा वर्सा लेकर ही छोड़ेंगे, तो वह चलन भी चाहिए। यह एक ही पढ़ाई है, नर से नारायण बनने की। यह तुमको बाप ही पढ़ाते हैं। राजाओं का राजा तुम ही बनते हो, और कोई खण्ड में होते नहीं। तुम पवित्र राजायें बनते हो, फिर बिगर लाइट वाले अपवित्र राजायें पवित्र राजाओं के मन्दिर बनाकर पूजा करते हैं। अभी तुम पढ़ रहे हो। स्टूडेन्ट टीचर को क्यों भूलते हैं! कहते हैं बाबा माया भुला देती है। दोष फिर माया पर रख देते हैं। अरे, याद तो तुमको करना है। मुख्य टीचर एक ही है, बाकी और सब हैं नायब टीचर्स। बाप को भूल जाते हो, अच्छा टीचर को याद करो। तुमको 3 चांस दिये जाते हैं। एक भूले तो दूसरे को याद करो। अच्छा!

    मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

    धारणा के लिए मुख्य सार:-


    1) बाप से पूरा वर्सा लेने के लिए जो कथनी हो वही करनी हो, इसका पुरूषार्थ करना है। मोहजीत बनना है।

    2) सदा याद रहे कि हम शान्ति के सागर के बच्चे हैं, हमें शान्ति में रहना है। मुख में मुहलरा डाल लेना है। ग़फलत में अपना टाइम वेस्ट नहीं करना है।

    वरदान:- 

    तड़फती हुई आत्माओं को एक सेकण्ड में गति-सद्गति देने वाले मास्टर दाता भव

    जैसे स्थूल सीजन का इन्तजाम करते हो, सेवाधारी सामग्री सब तैयार करते हो जिससे किसी को कोई तकलीफ न हो, समय व्यर्थ न जाए। ऐसे ही अब सर्व आत्माओं की गति-सद्गति करने की अन्तिम सीजन आने वाली है, तड़फती हुई आत्माओं को क्यू में खड़ा करने का कष्ट नहीं देना है, आते जाएं और लेते जाएं। इसके लिए एवररेडी बनो। पुरूषार्थी जीवन में रहने से ऊपर अब दातापन की स्थिति में रहो। हर संकल्प, हर सेकण्ड में मास्टर दाता बन करके चलो।

    स्लोगन:- 

    हज़ूर को बुद्धि में हाज़िर रखो तो सर्व प्राप्तियां जी हज़ूर करेंगी।


    ***Om Shanti***


    Brahma Kumaris Murli Hindi 24 July 2020


    No comments

    Note: Only a member of this blog may post a comment.